सीएए (CAA) पूरे देश में लागू कर दिया गया है, लेकिन अब भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां इसका कोई असर नहीं होगा, जानिए वो इलाके कौन से हैं और यहां सीएए क्यों लागू नहीं होगा।
वो इलाके जहा नहीं होंगा सीएए (CAA) लागु।
“भारतीय संविधान के अनुसार, सीएए (CAA) पूरे देश में लागू होता है, लेकिन विशेष प्रावधानों के चलते नागरिकता संशोधन अधिनियम उत्तर पूर्वी राज्यों के कुछ हिस्सों में लागू नहीं होगा।
इनमें असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के विशेष क्षेत्र शामिल हैं, जहां इनर लाइन परमिट (ILP) और छठे अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र इसके अपवाद हैं।”
असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में CAA क्यों नहीं लागु हुआ ?
CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) असम, मेघालय, मिजोरम, और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में लागू नहीं हुआ,
मुख्यतः इन क्षेत्रों में विशेष आंतरिक शासन और संरक्षण के प्रावधानों के कारण।
इन राज्यों में ‘इनर लाइन परमिट’ (ILP) प्रणाली और ‘षड़यंत्र समझौता’ (Sixth Schedule) क्षेत्र होने की वजह से CAA के प्रावधान सीधे लागू नहीं होते।
ILP और षड़यंत्र समझौता क्षेत्र, इन राज्यों के आदिवासी समुदायों की जमीन और संस्कृति की रक्षा करते हैं, और बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश और बसने पर प्रतिबंध लगाते हैं।
इसी कारण CAA इन क्षेत्रों में सीधे तौर पर लागू नहीं किया गया, ताकि स्थानीय आदिवासी समुदायों की जमीनी और सांस्कृतिक संरक्षण की गारंटी हो सके।
जानिए CAA है क्या ?
“Citizenship Amendment Act (CAA) नागरिकता संशोधन कानून”,जिसे केंद्र सरकार ने साल 2019 का वो वक़्त था जब संसद में पास किया था।
अब इस बिल का उद्देश्य हैसे पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान आये यह छह समुदायों जिसमे हिन्दू,ईसाई,सिख,जैन,बौद्ध और पारसी शामिल है।
जानिए (CAA) आखिर नागरिकता संशोधन कानून है क्या यह कानून किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं करता है।
यह किसी को नागरिकता बल्कि देता है और यह केवल उन लोगों की श्रेणी को संशोधित करता है जो नागरिकता के लिये ख़ास तौर पर आवेदन कर सकते है.
अब ऐसा उन्हें आवेदन यानी जो आवेदन करने वाले है उन्हें अवैध प्रवासी की परिभाषा से छूट देकर करता है.
कोई भी व्यक्ति जो की हिन्दू,ईसाई,सिख,जैन,बौद्ध और पारसी समुदाय से तालुख रखता हो और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हो.
जो की भारत में 31 दिसंबर 2014 को या इसके पहले प्रवेश कर चूका हो और जिसे केंद्र सरकार के द्वारा पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा तीन की उपधारा 2 के खन स या विदेश अधिनियम1947 के पराधनो के आवेदन के अंतर्गत किसी भी नियम या आदेश के तहत छूट दी गयी हो।
इनके शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है वैसे इस बिल में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है।
और इसी मुद्दे पर जो राजनितिक पार्टिंया थी उनकी तरफ से जबरदस्त विरोध किया जाता रहा है।
अब में आपको ये बता दू की 3 साल पहले जब संसद में यह कानून पास हुआ था तो इस पर पुरे देश में एक तीखी प्रतिक्रिया और विरोध भी देखने को मिला था सियासी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया था लेकिन सरकार ने इसे लेकर न केवल स्तिथि स्पष्ट की बल्कि इस कानून को लेकर जवाब भी दिए गए है।