“CHANDRAYAAN-4(चंद्रयान-4)मिशन के साथ, भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के नए दुनिया में प्रवेश कर रहा है, जहां चांद पर न सिर्फ पहुंचना बल्कि सुरक्षित वापसी भी संभव होगी। जानिए कैसे CHANDRAYAAN-4(चंद्रयान-4) अंतरिक्ष विज्ञान में भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा और चांद के अध्ययन में नई संभावनाएं खोलेगा।”
CHANDRAYAAN-4 UPDATE
भारत के बहुप्रतीक्षित अंतरिक्ष मिशन गगनयान के बाद (CHANDRAYAAN 4)चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान 4 भारत के लिए बेहद एडवांस मिशन होगा. भारत को इस मिशन को पूरा करने में कुछ साल लग सकते हैं. इस मिशन को लेकर इसरो ने नई जानकारी दी है.
CHANDRAYAAN-4 LAUNCH
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने चंद्रयान-4 मिशन पर काम शुरू किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इस मिशन के बारे में जानकारी दी है.
चंद्रयान-4 मिशन में क्या होगा? चंद्रयान-3 में केवल 3 मॉड्यूल थे। अब चंद्रयान-4 में 5 मॉड्यूल होंगे. मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग से लेकर चंद्रमा के नमूने एकत्र करने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटने तक सब कुछ शामिल होगा। कुछ दिन पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस मिशन के बारे में जानकारी दी थी.
भारत के बहुप्रतीक्षित गगनयान मिशन के बाद चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन को पूरा होने में चार साल लग सकते हैं. इस पर तेजी से काम चल रहा है. इसलिए मिशन को तय समय से पहले भी लॉन्च किया जा सकता है. इसरो ने सोशल मीडिया एक्स पर चंद्रयान-4 के बारे में नई जानकारी साझा की है। यह मॉड्यूल, इंजन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
CHANDRAYAAN-4(चंद्रयान-4) नहीं होगा भारत का इकलौता मिशन, ये देश भी होगा शामिल
चंद्रयान-4 जापान के JAXA के साथ इसरो का संयुक्त मिशन है। इस मिशन को जापान के H3 रॉकेट से लॉन्च किया जा सकता है.
चंद्रयान-4 से कुल पांच मॉड्यूल चंद्रमा पर भेजे जाएंगे. इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल, एसेंडर मॉड्यूल,डिसेंडर मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और रीएंट्री मॉड्यूल शामिल होंगे।
प्रत्येक मॉड्यूल का अलग-अलग कार्य होगा। खास बात यह है कि यह मिशन दो चरणों में लॉन्च किया जाएगा। इसकी शुरुआत पृथ्वी से प्रक्षेपण के साथ होगी।
चांद पर उतरने के बाद वहां से नमूने एकत्र किए जाएंगे. फिर चंद्रमा से धरती पर वापस आने के लिए प्रक्षेपण होगा।
प्रक्षेपण के समय चंद्रयान-4 का कुल वजन 5200 किलोग्राम होगा। अंतरिक्ष यान चंद्रमा से पृथ्वी की ओर आएगा, उस समय वजन 1527 किलोग्राम होगा। अंतरिक्ष यान वजन में हल्का होगा जिससे वह पृथ्वी की कक्षा में आसानी से प्रवेश कर सकेगा।
किस मॉड्यूल की क्या होगी जिम्मेदारी?
प्रोपल्शन मॉड्यूल: रॉकेट से अलग होने के बाद प्रणोदन मॉड्यूल पृथ्वी की कक्षा से चंद्र कक्षा में जाने का प्रभारी होगा। चंद्रयान-3 में भी इसी मॉड्यूल से ये काम किया गया था.
डिसेंडर मॉड्यूल: प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद डिसेंडर मॉड्यूल सभी मॉड्यूल को चंद्रमा पर उतारने के लिए जिम्मेदार होगा।
एसेंडर मॉड्यूल: नमूने एकत्र करने के बाद मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से उड़ान भरेगा। पृथ्वी पर आने पर स्थानांतरण मॉड्यूल ले जाएगा।
ट्रांसफर मॉड्यूल: यह मॉड्यूल चंद्रमा पर एकत्र किए गए नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए जिम्मेदार होगा। री-एंट्री मॉड्यूल: री-एंट्री मॉड्यूल चंद्रमा पर एकत्र किए गए नमूनों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए जिम्मेदार होगा।
री एंट्री मॉड्यूल : चांद से लिए गए नमूने लेकर धरती पर सकुशल लैंड करने की जिम्मेदारी री एंट्री मॉड्यूल की होगी.
This is what we know so far about #ISRO‘s Moon sample return mission Chandrayaan-4:
The mission will involve a PSLV & a LVM3 launch & consist of 5 modules – Ascender, Descender, Propulsion, Transfer & Re-entry module.
Here’s a graphic showcasing each module & their functions 👇 pic.twitter.com/ZCRduWoqY0
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) March 5, 2024